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English to Hindi: Sample for English>Hindi Translation.
Source text - English Everyone is at risk of being poisoned by carbon monoxide exposure. Older adults with pre-existing conditions, such as chronic heart disease, anaemia, or respiratory problems, are even more susceptible to the effects of this odourless, colourless gas.
Preventing Carbon
Monoxide Poisoning
Information for Older Adults and
Their Caregivers
Do you know that carbon monoxide
(CO) is the most common cause of poisoning death in the United States? Unintentional CO poisonings are responsible for about 500 deaths and 15,000 visits to emergency rooms annually. Older adults over 65 years of age are especially vulnerable to unintentional CO poisoning due to their high frequency of pre-existing medical conditions. 1 While COalarms can save lives, fewer than one third of American homes have them installed. 2
Translation - Hindi प्रत्येक व्यक्ति को कार्बन मोनोऑक्साlइड के संपर्क से विषाक्तता का जोखिम है। पुराने हृदयरोग, एनिमिया, या श्वासन समस्याओं जैसी पहले से विद्यमान स्थितियों के कारण व्य स्कय वृद्ध इस रंगहीन, गंधहीन गैस के प्रति अत्यकधिक संवेदनशील हैं।
कार्बनमोनोऑक्सायइड विषाक्तकता से बचाव
व्य्स्क वृद्धों तथा उनके देखभाल करने वालों के लिए सूचना.
क्यास आप जानते हैं कि सुंयक्त राज्य में कार्बन मोनोऑक्साजइड विषाक्तता मृत्यु का अति सामान्य कारण है? प्रति वर्ष CO अनैच्छिक विषाक्तता लगभग 500 मौतों के लिए उत्तरदायी है और लगभग 15000 व्यक्ति आपातकक्षों में भर्ती होते हैं। 65 वर्ष से अधिक आयु के व्य स्क वृद्ध उनकी पूर्व-विद्यमान अवस्थाओं की उच्च आवृति के कारण विशेष रूप से अनैच्छिक CO विषाक्तकता के प्रति असुरक्षित हैं। जबकि CO अलार्म (संकट सूचक) जिंदगियों को वचा सकते हैं, एक-तिहाई से भी कम अमेरिकी घरों में इसे स्थालपित करवाया गया है.
English to Hindi: Environment studies General field: Other Detailed field: Environment & Ecology
Source text - English Environmental Education—A Discipline?
Syed Masoom
What is environmental education? Is it another subject or paper or discipline? Another question, which you may like to ask here is ‘What is the need for this?’ In this paper as we move further we will try to engage in some thought on these questions as well as different issues encircling this.
World peace and harmony is not possible without environmental education. Why I am saying this is because the human race is a product of the interaction between man and his environment, which can be broadly categorized into ‘natural’ environment and ‘socio-cultural’ or ‘man-made’ environment. This interaction, however, has not been very smooth in the past and even today it has given rise to ‘environmental problems’. Now, we must give some thought to the question of what are environmental problems.
Environmental problems are those instances in which people’s behaviour affects their physical environment in such a way so as to place their own health, other people’s health, the built environment or natural systems in jeopardy. This is the case, for example, when pollution occurs, when natural resources are exhausted and when natural features are damaged. Environmental problems are physical as well as social problems. There are lots of issues all over the world such as issues of construction of dams, deforestation, large amount of chemical wastage, uncontrolled use of fossil fuel, use of natural resources as if today is the last day of the world without giving even a single thought for the future generation or days to come. This leads to tonnes of problems for all of us. So an understanding of the environment and related issues therefore becomes the need of the hour since it is so intrinsically linked to human beings. An understanding of the environment also depends upon the context of social norms and values. The main objectives of incorporating environmental education into the school curricula can therefore be identified as the following: To make children aware of the nature of the relationship between humanity and the environment on which it depends To impart knowledge and skills to understand and solve environment and development related issues To enable children to acquire the attitudes and motivations leading to sound discussions and civic actions for the improvement and protection of the environment and its quality
Now let us think about the entire human race in the world and its daily routine work. You get a picture of fishing boats and fishermen, of cowherds and milk processing plants, of paddy fields and rubber estates, of village blacksmiths and steel mills, of handlooms and nuclear reactors and so on. How and where do these people live? People live in tiny hamlets, in villages; in towns and in cities. Some build their homes with bamboo and mud, others with cement and steel. Some cook with small twigs on a three stone hearth or with coconut husks on a mud stove, some with electricity and gas in modern kitchens. Naturally the demand of all these activities – whether it has to do with livelihood or shelter or simply living - is great on the natural resources. As for example, a farmer wants the mountain valley to grow paddy, power corporations want to construct hydroelectric dams and their demands are not limited to one country or one area. This is a picture of a more common kind of interaction that man has with the environment
Translation - Hindi पर्यावरण शिक्षा – एक संकाय
सैय्यद मासूम
पर्यावरण शिक्षा क्या है? क्या यह एक और विषय, लेख अथवा संकाय है? यहां आप दूसरा प्रश्न यह पूछना चाहेंगे कि ‘इसकी आवश्यकता क्या है?’ इस लेख में आगे बढ़ने के साथ हम इन प्रश्नों और इससे जुड़े हुए दूसरे विषयों पर विचार करने की कोशिश करेंगे.
पर्यावरण शिक्षा के बगैर विश्व शांति और सद्भाव संभव नहीं है. मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं कि मानव जाति मनुष्य और इसके वातावरण के मध्यक संपर्क का परिणाम है, जिसका मुख्यत: ‘प्राकृतिक पर्यावरण’ और ’सामाजिक-आर्थिक’ या ‘मानव निर्मित’ पर्यावरण के रूप में वर्गीकरण किया जा सकता है. परंतु, प्राचीन समय में यह संपर्क बहुत सामान्य नहीं रहा है और आज भी इसने अनेक ‘पर्यावरण समस्याओं’ को जन्म दिया है. अब, हमें इस प्रश्न पर विचार करने की आवश्यकता है कि पर्यावरण समस्याएं क्या हैं.
पर्यावरण समस्याएं वह उदाहरण हैं जिनमें लोगों का व्यवहार उनके भौतिक वातावरण को इस प्रकार प्रभावित करता है कि उनके अपने स्वास्थ्य्, अन्य लोगों के स्वास्थ्य, विद्यमान पर्यावरण या प्राकृतिक तंत्रों को संकट में डाल देता है. उदाहरण के लिए यह स्थिति जब प्रदूषण उत्पन्न होता है, जब प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया जाता है और जब प्राकृतिक विशेषताओं की क्षति होती है. पर्यावरण समस्याएं भौतिक समस्या होने के साथ-साथ सामाजिक समस्याएं भी हैं. संपूर्ण संसार में अनेक मामले हैं जैसे बाँधों के निमार्ण का मामला, वनों की कटाई, बड़ी मात्रा में रासायनिक अपशिष्ट, जैव ईंधनों का अनियंत्रित उपयोग, भविष्य की पीढी़यों या आने वाले दिनों के बारे में एक पल भी विचार किए बगैर प्राकृतिक संसाधनों का इस प्रकार उपयोग करना जैसे आज ही संसार का आखिरी दिन है. इसप्रकार पर्यावरण और इससे जुड़े हुए विषयों की समझ होना समय की जरूरत हो जाती है क्योंकि यह मनुष्यों से बहुत मौलिक रूप से जुड़ा हुआ है. पर्यावरण की समझ सामाजिक आर्दशों और मूल्यों के संदर्भ में भी निर्भर करती है. इस प्रकार पर्यावरण शिक्षा को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने के मुख्य लक्ष्य निम्नानुसार चिन्हित किए जा सकते हैं :
• बच्चों को मानवता और पर्यावरण के मध्य संबंधों की प्रकृति के बारे में जागरूक करना जिस पर यह आधारित है.
• पर्यावरण और विकास से संबंधित मामलों को समझने और समाधान करने का कौशल और ज्ञान प्रदान करना.
• पर्यावरण और इसकी गुणवत्ता में सुधार और सुरक्षा के लिए स्वस्थ परिचर्चा और नागरिक कार्यों के लिए दृष्टिकोण विकसित करने और प्रेरणा हासिल करने में बच्चों को सक्षम करना.
आईए अब हम सारे संसार में संपूर्ण मनुष्य जाति और इसके दैनिक नित्यक्रम पर चर्चा करते हैं. आप मछली नौकाओं और मछुआरों, धान के खेतों और रबड़ बागानों, गायों के झुण्डों और दूध प्रसंस्कंरण संयंत्रों, गांव के लोहारों और स्टील मिलों, हथकरघों और परमाणु रिएक्टरों और बहुत सी चीजों के चित्र की कल्पना करते हैं. यह लोग कहाँ और कैसे रहते हैं? लोग छोटी बस्तियों में, गांवों, कस्बों में और शहरों में रहते हैं. कुछ लोग अपने घर बाँस और गारे से बनाते हैं जबकि दूसरे सिमेंट और स्टील के साथ बनाते हैं. कुछ लोग अपना भोजन तीन पत्थरों से बनाए गए चूल्हों पर छोटी टहनियों के साथ या गारा के चूल्हेक पर नारियल की भूसी से पकाते हैं जबकि कुछ आधुनिक रसोईघरों में बिजली या गैस के साथ पकाते हैं. स्वाभाविक रूप से इन सभी क्रियाओं/ गतिविधियों की माँग –चाहे यह जीवनयापन या आवास से संबंधित है या आवास अथवा सामान्य जीवन से संबंधित है –प्राकृतिक संसाधनों पर बहुत ज्यादा है. उदाहरण के लिए, एक किसान किसी पहाड़ी घाटी को धान की खेती करने के लिए और एक ऊर्जा निगम जलविद्युत बाँध के निर्माण के लिए चाहता है और उनकी माँग एक क्षेत्र या एक देश तक सीमित नहीं हैं. यह मनुष्यृ का इसके वातावरण के साथ संपर्क करने की अति सामान्यत ढंग की स्थिति है.
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Bio
Career Objective:
To establish myself as a domain expert in the field of translation and allied administrative function through exposure, learning, sharing, teamwork and expertise.
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Education Qualification:
Class Board/University Year of passing Subjects.
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B.A.(History Hons) K.U.Kurukshetra 1996 Hindi,English,History,Geog.
M.A. English lit. K.U.Kurukshetra 1998/ imp.2000 English Literature
P.G. Diploma in K.U.Kurukshetra 1999 Hindi/English
Translation
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EXPERINCE
# First joined the post of Jr. Hindi Translator from 04-12-2000 to 31-07-2001 in Indian Audit & Accts. Department, Regional Audit Office, Port Blair (A.N.I.)
# Second, discharged the responsibilities of Sr. Hindi Translator in 2004 on contractual basis. Scheduled Areas and Scheduled Tribes Commission, Government of India from 30-01-2003 to 31-05-
# Third joined HimPrabha (evening daily) at Chandigarh in two terms first, 1st Sept.2001 to 25th January 2003 and then from 1st July 2005 to 31st March 2006
# Then handled the job of Jr. Hindi Translator from 26-04-2006 to 25-04-2007 in Heavy Water Plant Baroda, Deptt of Atomic Energy Govt. of India
# Forth, delivered the responsibility of Asstt. Hindi Officer from 31-03-2009 to 30 -09-2009 in NHPC Ltd. at Teesta V Power Station Balutar,P.O. Singtam East Sikkim
At present working as freelance translator in the domains of Medical, Agriculture, I.T., Environment Sc., Hydrolics, General Translation, Education, Geography, Advertisement and Communications, Research Documents on various subjects and so on.
Thus, experience during this phase of total six and half year comprising translation of different kind of literature from English to Hindi and vice versa, organization of Hindi workshops, O.L.I.C. meetings, Hindi competitions along with preparation of various reports pertaining to implementation of Official language Policy of the Union of India. Besides all these, I contributed to publication of Hindi magazine of Heavy Water Plant, Baroda for the year 2006-07 and discharged other responsibilities related to administrative function.
Hobbies : Reading & Listening to music
Achievements : Participated in swimming and football teams at inter-college level 1st prize winner in slogan competition on environment at H.W.P. Baroda, Letter of appreciation from Chairman (OLIC) and Admn. Officer, Heavy Water Board, Mumbai.
Strength : Laborious, Honest, Patience, Enthusiastic, Keen to Learning.
DECLARATION
I hereby declare that all the above contents are true and correct to the best of my knowledge and belief and nothing has been concealed therein.
Date:-09-09-2010
(SANJEEV KUMAR)
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